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यह है मेरी कहानी

यह है एक funny कहानी,
जो ब्लोगेश्वर जी ने वर्षा को है सुनाई,
उन्होंने वर्षा को राजनीती की पाठ पढाई,
पर वर्षा को बात कुछ समझ ना आई,
किस्से बातें राजनीती के, उससे में दूर रहती हूँ,
अपनी ज़िन्दगी अपने ढंग से जीती हूँ!~

यह सुनकर ओमी जी ने अपने अंदाज़ में कहा,
ब्लॉगशेवरजी पर छाई कौनसी छाया
इस बार आपने गुप्त मतदान करवाया
वर्षाजी को राजनीती का पाठ पठाया
फिर भी उनके समझे में कुछ ना आया
उनको मोह नहीं पाई मलाई की माया
देश ने CWG भी क्यों नहीं उनसे करवाया

ब्लोगेश्वर जी को यह बात ना भाई,
उन्होंने अपनी बात फिरसे दोहराई,
मलाई की माया को जो न समझ पाया
आज के युग में ऐसे इंसान को किसने बनाया?
सारी रात जाग कर भी मैं ये न समझ पाया!
देवी, धन्य है ये ब्लोगेश्वर जो उसने तुझे अपने दल में पाया!

वर्षा के तारीफ में ओमी जी ने कुछ और पंक्तियाँ सुनाई,
थोड़ी कमीनाई थोड़ी महंगाई,फिर फसा ना पाई मलाई
कुछ लोग अभी भी सच्चे है,कुछ पुरे कही कुछ कच्चे है
देश चलाते है बिना किसी दाम के,बड़े बड़े लोग रह गए बस नाम के
ब्लोग्शवरजी ये तो १ उदहारण है,ओमी से पूछो और भी इन्सान है
जो बच गए है इस मेले में,सही गलत के झमेले में

ऐसी ही मीठी यादें ब्लोगेश्वर के दामन से चुनती हूँ,
इन यादों को अपने ब्लॉग में लिखती हूँ!~

-Lyrics by Varsha, Omi,Blogeshwar

Chandni Raat

देखो यह चांदनी रात निकल आई है,

कोई खुशबु साथ लेकर आई है,

इसमें कुछ रंग और ख्वाब भी साथ लायी है,

तारों में झिलमिलाती हुई ख्वाहिश भी आई है।

इस खुशबु में दर्द है और अफ़साने भी,

इस खुशबु ने बनाये कयिओं को दीवाने भी,

मेरे आँचल पर उम्मीदों की कतार जैसी ये उतरी है,

येही खुशबु मेरे देहलीज़ के पार उतरी है।

इस रात मैं जैसे शुन्य की सी गहराई है

ध्यान से देखो, शायद किसीने ये तारों की चादर बिछाई है

इसकी ठंडक मैं जैसे की समय थम गया है

ऐसा लगता है जैसे की पूरा अंतरिख्सा मुझसे जुड़ गया है।

क्या उसको भी ये रात ऐसे ही दीखता होगा

क्या वो इस रात को देख के मुझे याद करता होगा

क्या वो भी इस आस्मां को देख के कुछ कहता होगा

या फिर वो खामोश रह के इस रात को सुनती रहता होगा।

Special thanks to Saurabh for helping me with a beautiful ending...


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